झारखंड की भावी दिशा


शिबू सोरेन
झारखंड का स्थापना दिवस एवं भगवान बिरसा मुंडा की जय्ाती की तिथि एक ही है. 15 नवंबर की य्ाह तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण है. य्ाह भगवान बिरसा मुंडा के साथ-साथ सिद्ध्ाू-कान्हू, चांद-भैरव, तिलका मांझ्ी, वीर बुधू भगत, पांडेय्ा गणपत राय्ा, ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, शेख भिखारी जैसे महापुरुषों के साथ-साथ झ्ाारखंड आंदोलन के शहीदों के बलिदान की भी य्ाद दिलाता है.
भगवान बिरसा मुंडा ने अत्य्ाचार, शोषण, सूदखोरी के खिलाफ संघर्ष किय्ा था एवं शराबखोरी, छुआछूत, भेदभाव से दूर रहने का संदेश दिय्ाा था. उस संदेश को बार-बार य्ााद करने और व्य्ावहार में उतारने की आवश्य्ाकता है.
झ्ाारखंड राज्य्ा अपना आठवां स्थापना दिवस मना रही है. झ्ाारखंड राज्य्ा गठन की लडाई में हमने अपने जीवन के 40 बहुमूल्य्ा साल बिताए हैं. इस आंदोलन को हमने और हमारे साथिय्ाों ने खून-पसीने से सींचा. इसके फलस्वरूप ही इस राज्य्ा का उदय्ा हुआ. अलग राज्य्ा गठन करने का मेरा मकसद य्ाही था कि झ्ाारखंड राज्य्ा का चौतरफा विकास हो. इस राज्य्ा की गरीब जनता को भी विकास का लाभ मिल सके.
राज्य्ा गठन के बाद य्ाहां की सरकार की बागडोर ऐसे लोगों के हाथों चली गय्ाी, जिन्हें झ्ाारखंड आंदोलन से कुछ लेना-देना नहीं था. उनके पार्टी के लोगों ने झ्ाारखंड आंदोलन का विरोध ही किय्ाा था. नतीजन उनके कायर््ाकाल में राज्य्ा के विकास के बदले कुछ लोगों का विकास हुआ. उन लोगों ने झ्ाारखंड के लोगों की भावनाओं का आदर नहीं किय्ाा. य्ाहां के गांव, खेत-खलिहान, जल-जंगल के विकास की चिंता नहीं की, जिसके कारण झ्ाारखंड के लोग अपने को ठगा हुआ महसूस करने लगे. पुरानी सरकारों की अनदेखी के कारण गांव-जवार में जो आक्रोश फैला, उसके कारण ही वे सरकारें बदल गईं. आपलोगों के सहय्ाोग से अब झ्ाारखंड सरकार की बागडोर मुझ्ो मिली है. य्ाह बागडोर झ्ाारखंड आंदोलन के एक सिपाही को मिली है. सरकार में आते ही हमने अपने पदाधिकारिय्ाों को य्ाह निर्देश दिय्ाा कि किसानों एवं गरीबों के हक से जुडी हुई य्ाोजनाएं बनाय्ाी जाय्ों. मात्र्ा ढाई महीने के शासनकाल में हमने राज्य्ा के गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवारों को 3 रुपय्ो के दर से चावल एवं 2 रुपय्ो के दर से गेहूं उपलब्ध कराने का निर्देश दिय्ाा है. अब गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवारों को अगले महीने से सस्ते दर पर अनाज उपलब्ध होने लगेगा. मैं इस बात पर विश्वास रखता हूं कि य्ादि किसान खुशहाल होगा तो राज्य्ा भी खुशहाल होगा. इसके लिए हमने ’समेकित किसान खुशहाली य्ाोजना‘ शुरू की है. इसके तहत प्रत्य्ोक जिले के दो-दो प्रखंडों के किसानों को अपनी जमीन पर एक से अधिक फसल फैदा करने की आवश्य्ाक सुविधाएं उपलब्ध कराय्ाी जाय्ोंगी. साथ ही उन्हें पशुपालन, मुर्गी पालन य्ाा बत्तख पालन के लिए भी सुविधाएं दी जाय्ोंगी.
राज्य्ा में नौ आदिम जनजाति के सदस्य्ा रहते हैं. वे अभी भी विकास की मुख्य्ाधारा से कोसों दूर हैैं. इनमें से कई परिवार आज भी जंगल से कंदमूल इकट्ठा करके अपना पेट भरते हैं. य्ो बहुत ही चिंताजनक स्थिति है. बचपन में, और आंदोलन के दिनों में हमने अपना काफी समय्ा जंगलों में बिताय्ाा है. मैंने भी गरीबी को काफी नजदीक से देखा है. इसलिए हमने य्ाह फैसला लिय्ाा है कि ऐसे सभी गरीब परिवारों को निःशुल्क अनाज उपलब्ध कराय्ाा जाय्ो. अब इस य्ाोजना का नाम ’मुख्य्ामंत्र्ाी खाद्य सुरक्षा य्ाोजना‘ होगा. इस य्ाोजना के तहत झ्ाारखंड राज्य्ा के सभी आदिम जनजाति के परिवारों को निःशुल्क 35 किलो प्रतिमाह प्रति परिवार अनाज उपलब्ध कराय्ाा जाएगा.
हमारी सरकार का य्ाह फैसला है कि आदिम जनजाति वर्ग के बीए पास बच्चों को सरकारी नौकरी में सीधी निय्ाुक्ति दी जाय्ो. अब राज्य्ा में आदिम जनजाति वर्ग का कोई भी पढा-लिखा लडका य्ाा लडकी बेरोजगार नहीं रहेगा. हमारी सरकार ऐसे बच्चों को सीधे निय्ाुक्ति देगी. रांची जिले के पांच बीए पास आदिम जनजाति बच्चों को निय्ाुक्ति पत्र्ा देने जा रहे हैं. इस महीने के अंत तक 67 आदिम जनजाति के बच्चों को नौकरी दी जाय्ोगी.
गरीबों की सबसे बडी समस्य्ाा भोजना और आवास की होती है. हमने अनाज देने के साथ-साथ गरीबों को आवास भी उपलब्ध कराने का निर्णय्ा लिय्ाा है. हमारी सरकार ने सिद्ध्ाू-कान्हू आवास य्ाोजना श्ुारू की है. इस य्ाोजना के तहत राज्य्ा में गरीबी रेख से नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवारों को निःशुल्क आवास उपलब्ध कराय्ाा जाय्ोगा. इंदिरा आवास य्ाोजना की तर्ज पर ही आवास बनाने हेतु प्रति इकाई 35 हजार रुपय्ो की आर्थिक सहाय्ाता राज्य्ा सरकार अपनी निधि से देगी.
भोजन, आवास के साथ-साथ पढाई की जरूरत से कोई इंकार नहीं कर सकता है. सरकारी विद्यालय्ाों में पढने वाली अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 6-1ñ वर्ग की छात्र्ााओं को मुफ्त में पोशाक दिय्ाा जाय्ोगा. प्रत्य्ोक 1ñ हजार की आबादी पर एक माध्य्ामिक विद्यालय्ा की स्थापना की जाय्ोगी. इसके साथ ही प्राथमिक विद्यालय्ाों में सहाय्ाक शिक्षकों तथा उर्दू के शिक्षकों की भी निय्ाुक्ति होगी. छात्र्ााओं को स्नातकोत्तर तक शिक्षण में परीक्षा शुल्क में छूट दी जाय्ोगी. हमारी सरकार झ्ाारखंड के लोगों को स्वास्थ्य्ा सेवाएं मुहैय्ाा कराने के लिए तत्पर हैं. सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य्ा केंद्रों के भवन का निर्माण कायर््ा तेजी से चल रहा है. अस्पतालों के शय्य्ाा की संख्य्ाा बढाई जा रही है. सरकारी और निजी प्रय्ाासों से नय्ो मेडिकल कालेज, आय्ाुर्वेदिक कालेज और डेंटल कालेज खोले जा रहे हैं. राज्य्ा के गठन के समय्ा सिंचित खेती य्ाोग्य्ा भूमि मात्र्ा नौ प्रतिशत थी, उसे बढाकर लगभग साढे तेईस प्रतिशत किय्ाा गय्ाा है. हमारी सरकार का लक्ष्य्ा है कि वृहद, मध्य्ाम और लघु सिंचाई य्ाोजनाओं से सिंचित भूमि का प्रतिशत तेजी से बढाय्ाा जाय्ो. आज भी राज्य्ा की 8ñ प्रतिशत जनता पीने के पानी के लिए कुआं और चापानल पर निर्भर है. हमारी कोशिश रहेगी कि ज्य्ाादा से ज्य्ाादा गांव के पाईप से जलापूर्ति करने वाली य्ाोजनाओं को पूरा किय्ाा जाय्ो.
राज्य्ा के य्ाुवाओं के विकास के लिए तकनीकी शिक्षा की बहुत अधिक जरूरत है. सरकारी और निजी प्रय्ाासों से नय्ो इंजीनिय्ारिंग कालेज खोले गय्ो हैं. वहीं सरकार की कोशिश है कि लगभग हर जिले में नए पालिटेक्निक एवं प्रत्य्ोक अनुमंडल में नए आईटीआई खोले जाय्ो. महिलाओं के लिए भी विशेष तौर पर नए पालिटेक्निक एवं आईटीआई खोले जा रहे हैं. रांची एवं देवघर में तारामण्डल का निर्माण शीघ्र प्रारंभ किय्ाा जा रहा है.
दुमका को झ्ाारखंड की उप राजधानी का दर्जा तो दिय्ाा गय्ाा, लेकिन उसके विकास पर आज तक विशेष ध्य्ाान नहीं दिय्ाा गय्ाा, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा दुमका के साथ-साथ पूरे संथाल परगना के विकास पर हम विशेष ध्य्ाान देंगे. इसी सिलसिले में हमने हाल ही में दुमका में सोना सोबरन पाय्ालट प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन किय्ाा है. इस केंद्र में आदिम जनजाति वर्ग के य्ाुवाओं को निःशुल्क प्रशिक्षण दिय्ाा जाय्ोगा.
हमने राज्य्ा सरकार के सभी विभागों के खाली पदों के संबंध में रिपोर्ट करने का निर्देश अधिकारिय्ाों को दिय्ाा है. शीघ्र ही लगभग एक लाख खाली पदों पर राज्य्ा के नौजवान लडके-लडकिय्ाों की बहाली की जाय्ोगी. हमने सिपाही की निय्ाुक्तिय्ाों में स्थानीय्ा लोगों को प्राथमिकता देने का निर्देश दिय्ाा है, ताकि वे ग्रामीणों की बोली-भाषा समझ्ा सकें और उनकी समस्य्ााओं का निदान कर सकें. झ्ाारखंड के लोगों में अपनी संस्कृति के प्रति अभिमान जाग सके, उसके लिए संस्कृति कर्मिय्ाों को सम्मानित करने की हमारी य्ाोजना है. साथ ही ग्रामीणों के बीच नगाडा, मांदर, ढाक और ढोल आदि भी वितरित किय्ो जाय्ोंगे. उसी प्रकार खेल-कूद में अपनी प्रतिभा दिखाने वाले और राष्ट्रीय्ा एवं अंतर्राष्ट्रीय्ा स्तर पर झ्ाारखंड का नाम रौशन करने वाले खिलाडिय्ाों को भी सम्मानित करने और नौकरी देने की हमारी य्ाोजना है.
हमारा विश्वास है कि झ्ाारखंड की खुशहाली की कुंजी गांवों के विकास में छिपी है. गांवों की खेती-किसानी, पशुपालन, वानिकी, लघु-कुटीर उद्योग क ेविकास में ही अपने राज्य्ा का विकास हो सकेगा. राज्य्ा के य्ाुवाओं को हर जिला, हर अनुमंडल में तकनीकी शिक्षा मिल सके, इसकी हमारी कोशिश है, तभी वे आने वाले उद्योगों का लाभ उठा सकेंगे. गांवों के लोगों की समस्य्ााओं का समाधान उनके गांव के नजदीक मिल सके, इसके लिए हम छोटे-छाटे प्रखंडों का निर्माण कर रहे हैं. अभी 35 नय्ो प्रखंडों का सृजन किय्ाा गय्ाा है. नय्ो अनुमंडल भी बनाय्ो जा रहे हैं. हमारी य्ो कोशिश है कि राज्य्ा की प्रगति को खूब तेज गति दी जाय्ो. इस कायर््ा में हमें आप सबका सहय्ाोग चाहिए, तभी य्ाह भगवान बिरसा मुंडा, सिद्ध्ाू-कान्हू एवं अन्य्ा महापुरुषों और शहीदों के सपनों को साकार कर सकेंगे.

6 comments:

शोभा said...

अच्छा लिखा है. ब्लॉग जगत मैं आपका स्वागत है.

shama said...

Shubhkamnayon sahit swagat hai aapka !

Prakash Badal said...

लिखना जारी रखें स्वागत है

Amit K Sagar said...

ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
(उल्टा तीर)

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

kalyan ho
narayan narayan

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आपने बहुत अच्छा लिखा है ।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com